क़ुर्बानी करने का बेहतर तरीक़ा

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क़ुर्बानी करने का बेहतर तरीक़ा

 सवाल  उलमा ए किराम की बारगाह में मुअद्दबाना अर्ज़ है की क़ुर्बानी करने का बेहतर तरीक़ा तहरीर फरमा दें मआ एराब दुआ भी तहरीर फरमां  दें

 साईल हाफिज़ इकरामुद्दीन (कटिहार बिहार)

 जवाब क़ुर्बानी से पहले जानवर को चारा पानी दे दें यानी भूखा प्यासा ज़िब्ह ना करें और एक के सामने दूसरे को ना ज़िब्ह करें और पहले से छुरी तेज़ कर लें ऐसा ना हो कि जानवर गिराने के बाद उस के सामने छुरी तेज़ की जाए, जानवर को बायं पहलू पर इस तरह लिटाएं कि क़िबला को उसका मुंह हो और अपना दाहिना पांव उसके पहलू पर रख कर यह दुआ पढ़ें
 اِنِّیْ وَجَّھْتُ وَجْھِیَ لِلَّذِیْ فَطَرَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ حَنِیْفاًوَّمآاَنَا مِنَ الْمُشْرِکِیْنَ. اِنَّ صَلَاتِی وَنُسُکِیْ وَمَحْیَایَ وَمَمَاتِیللہ ِ رَبِّ الْعٰلَمِیْن لَاشَرِیْکَ لَہٗ وَبِذٰلِکَ اُمِرْتُ وَاَنَامِنَ الْمُسْلِمِیْن
फिर
اللّٰھُمَّ لَکَ وَمِنْکَ بِسْمِ اللہ اَللہ ُاَکْبَرُ

*पढ़ कर तेज़ छुरी से ज़िब्ह कर दें और ज़िब्ह के बाद यह दुआ पढ़ें

 اللّٰھُمَّ تَقَبَّلْ مِنِّی کَمَاتَقَبَّلْتَ مِنْ خَلِیْلِکَ اِبْرَاھِیْمَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَامُ وَحَبِیْبِکَ مُحَمَّد ﷺ،،

 इस तरह ज़िब्ह करें कि चारों रगें कट जाएं इस से ज़्यादा ना काटें की छुरी गर्दन के मुहरा तक पहुंच जाए यह बे वजह की तकलीफ है फिर जब तक जानवर ठंडा ना हो जाए यानी जब तक उस की रूह बिल्कुल ना निकल जाए उसके ना पावं वगैरा काटें ना खाल उतारें
 और अगर दूसरे की जानिब से क़ुर्बानी हो तो मिन्नी के बजाए मिन कह कर उसका नाम लें और अगर बड़े जानवरों की क़ुर्बानी हो तो जितने लोग शरीक हों यके बाद दीगरे उन सबका नाम लेें
 और अगर वह मुश्तरका जानवर है जैसे गाय ऊंट तो वज़न से गोश्त तक़्सीम किया जाए महज़ तुखमीना (अंदाज़ा) से तक़्सीम ना करें, फिर उस गोश्त के तीन हिस्से कर के एक हिस्सा फुक़रा पर तसिदक़ करें, और एक हिस्सा दोस्त व अहबाब के यहां भेजें और एक अपने घर वालों के लिए रखें और इस में से खुद भी खा लें और अगर अहलो अयाल ज़्यादा हों तो तिहाई से ज़्यादा बल्कि कुल गोश्त भी घर के सर्फ में ला सकते हैं, और क़ुर्बानी का चमड़ा किसी नेक काम के लिए दे दें मसलन मस्जिद या दीनी मदरसा को दे दें या किसी फक़ीर को दे दें
 बाज़ जगह यह चमड़ा इमामे मस्जिद को दिया जाता है अगर इमाम की तनख्वाह में ना दिया जाता हो बल्कि एआनत के तौर पर हो तो हर्ज नहीं, बहरूर्राइक़ में मज़कूर है कि क़ुर्बानी करने वाला बक़रा ईद के दिन सब से पहले क़ुर्बानी का गोश्त खाए इस से पहले कोई दूसरी चीज़ ना खाए यह मुस्तहब है इस के खिलाफ करे जब भी हर्ज नहीं
والله تعالی اعلم بالصواب

अज़ कलम 

ताज मोहम्मद क़ादरी वाहिदी 



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