क़दम ए नबी बर गर्दन ए गौस ए आज़म ?

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क़दम ए नबी  बर गर्दन ए गौस ए आज़म ?

सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में कि क्या यह सच है कि सरकार ए मदीना  के क़दम ए मुबारक सरकारे गौस ए आज़म रज़ि अल्लाहू अन्हू के गर्दन पर ब वक़्त मेराज रखा गया है ?
साईल : राज मोहम्मद वाहिदी
जवाब : हां यह वाक़िया सही है इसकी तफसील फतावा  रज़विया में मौजूद है सरकार ए आला हज़रत रज़ि अल्लाहू अन्हू तहरीर फरमाते हैं
फाज़िल ए अब्दुल क़ादिर क़ादिरी बिन शेख मोहियुद्दीन अर्बली, तफरीहुल खातिर फी मुनाक़िबे शेख अब्दुल क़ादिर रज़ि अल्लाहू अन्हू में लिखते हैं कि जामिए शरीयत व हक़ीक़त शेख रशीद बिन मोहम्मद जुनेद रहमतुल्लाही तआला अलैह किताब हिर्ज़ुल आश्क़िन में फरमाते हैं

’ ان لیلۃ المعراج جاء جبرئیل علیہ السلام ببراق الٰی رسول اللہ صلی اللہ تعالٰی علیہ وسلم اسرع من البرق الخاطف الظاھر،ونعل رجلہ کالھلال الباھر،ومسمارہ کالانجم الظواھر،ولم یأخذ ہ السکون والتمکین لیرکب علیہ النبی الامین، فقال لہ النبی صلی اللہ علیہ وسلم، لم لم تسکن یابراق حتی ارکب علٰی ظھرک، فقال روحی فدائً لتراب نعلک یارسول اللہ اتمنی ان تعاھدنی ان لاترکب یوم القٰیمۃ علٰی غیر حین دخولک الجنۃ،فقال النبی صلی اللہ علیہ وسلم یکون لک ماتمنیت، فقال البراق التمس ان تضرب یدک المبارکۃ علٰی رقبتی لیکون علامۃ لی یوم القٰیمۃ، فضرب النبی صلی اللہ تعالٰی علیہ وسلم یدہ علٰی رقبۃ البراق، ففرح البراق فرحا حتی لم یسع جسدہ روحہ ونمٰی اربعین ذراعامن فرحہ وتوقف فی رکوبہ لحظۃ لحکمۃ خفیۃ ازلیۃ،فظھرت روح الغوث الاعظم رضی اللہ تعالٰی عنہ وقال یا سیدی ضع قدمک علٰی رقبتی وارکب،فوضع النبی صلی اللہ تعالٰی علیہ وسلم قدمہ علٰی رقبتہ ورکب، فقال قدمی علٰی رقبتک وقدمک علٰی رقبۃ کل اولیاء اللہ تعالٰی انتہٰی

यानी शब ए मेराज जिब्रील अमीन अलैहिस्सलाम खिदमत ए अक़द्दस हुजूर पुर नूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम में बुराक़ हाज़िर लाए की चमकती उचक ले जाने वाली बिजली से ज़्यादा शताब रू था, और उसके पांव का नअल आंखों में चका जौंध डालने वाला हिलाल और उसकी किले जैसे रौशन तारे, हुजूर पुर नूर  की सवारी के लिए उसे क़रार व सुकून ना हुआ, सैय्यद ए आलम  ने उससे सबब पूछा, बोला मेरी जान हुजूर  की खाक ए नअल पर कुर्बान, मेरी आरज़ू यह है कि हुजूर  मुझसे वादा फरमा लें कि रोज़े क़यामत मुझी पर सवार होकर जन्नत में तशरीफ ले जाएं, हुजूरे मुअल्ला सलावातुल्लाह ने फरमाया ऐसा ही होगा, बुराक़ ने अर्ज़ की, मैं चाहता हूं हुजूर  मेरी गर्दन पर दस्त ए मुबारक लगा दें की वह रोज़े क़यामत मेरे लिए अलामत हो, हुज़ूर अक़द्दस ने कुबूल फरमा लिया, दस्त ए अक़द्दस लगते ही बुराक़ को वह फरहत व शादमानी हुई की रूह इस मिक़दार जिस्म में ना समाई और गर्ब से फूल कर ४० हाथ ऊंचा हो गया,

हुजूर पुर नूर  को एक हिकमत निहानी अज़ली के बाअस एक लहज़ा सवारी में तवक़ुफ हुआ कि हुजूर सैय्यदना गोस ए आज़म रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू की रूहे मुतह्हरा ने हाज़िर हो कर अर्ज़ की, ऐ मेरे आक़ा ! हुजूर अपना क़दम पाक मेरी गर्दन पर रखकर सवार हों, सैय्यद ए आलम  हुजूर गौस ए आज़म रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू की गर्दन मुबारक पर क़दम अक़द्दस रखकर सवार हुए और इरशाद फरमाया मेरा क़दम तेरी गर्दन पर और तेरा क़दम तमाम औलिया अल्लाह की गर्दनों पर(फतावा रज़विया  पाठ २८ पेज ४०६,४०७)
         والله و رسولہ اعلم بالصواب
अज़ कलम  
  ताज मोहम्मद क़ादरी वाहिदी   उतरौला


हिन्दी ट्रांसलेट 
 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी 


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